लेखनी कहानी -27-Jan-2023

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निस्तब्ध गम्भीर रात में पाता गंगा के किनारे बिल्कुाल अकारण ही, जब इन्द्र मुझे बिल्कुसल अकेला छोड़कर चला गया, तब मैं रुलाई को और न सँभाल सका। उसे मैं प्यार करता ...

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